एमपी नाउ डेस्क
अरविंद साहू( लेख)
शिक्षा पद्धत्ति के सुधार और स्थानीय समस्याओं को लेकर समय- समय मे राज्य सरकारें शिक्षा के क्षेत्र में फैसला लेती है. ऐसा ही एक फैसला केंद द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षा NEET को लेकर राज्य की तमिलनाडु(डीएमके) सरकार द्वार विधानसभा में बिल पास हुआ है। राज्य में संचालित मेडिकल और डेंटिस्ट कॉलेज में प्रवेश के लिए प्रतियोगी परीक्षा NEET द्वारा प्रवेश नही लिया जाएगा।
हालांकि 2017 में भी तमिलनाडु में ऐसी मांग उठी थी. जिसे वर्तमान समय की AIADMK सरकार ने NEET परीक्षा द्वार होने वाले एडमिंशन बिल पेश जरूर किया था। मगर राष्ट्रपति के मुहर न लगाने की वजह से काननू लागू नहीं किया जा सका। एक बार पुनः स्थानीय स्तर में बड़ा राजीनतिक मुद्दा होने के कारण डीएमके सरकार ने विधानसभा में बिल पास करवा लिया।
NEET द्वारा प्रवेश की प्रदेश में स्थानीय स्तर में राज्य में उपस्थित तमिल भाषा और गरीब तबक़े ग्रामीण क्षेत्रों से आए छात्रों को पर्याप्त सुविधाओं न मिलने के अभाव से प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़ जा रहे। सामान्य वर्ग आर्थिक रूप से सम्पन्न छात्रों को दिक्कतों का कम समाना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार ने NEET परीक्षा से राज्य में तमिल समाज मे पड़ने वाले आर्थिक समाजिक रूप से प्रभाव को जानने के लिए एक कमेटी गठित की जिसका नेतृव हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज एके राजन ने किया।
राज्य सरकार ने दावा किया है गठित कमेटी की रिपोर्ट के आधर पर ही फैसला लिया गया है. सामाजिक न्याय बनाने एवं स्थानीय स्तर को देखते हुए मेडिकल, डेंटल, होम्योपैथी मेडिकल क्षेत्र से जुड़े सरकारी कॉलेज में एडमिशन के लिए 12वीं क्लास में मिले अंकों को आधार बनाया जाएगा।
केंद यदि बिल को स्वीकृति देता है. तो आने वाले समय मे अन्य राज्यों से भी ऐसी मांगे उठ सकती है।
राज्य सरकार द्वार NEET को ख़ारिज किये जाने से प्रतियोगी परीक्षाओं की अवधारणा को देती चुनोतियाँ के लिए News clik में अजय कुमार जी का विस्तृत लेख पढ़ सकते है। लिंक मैं👉https://hindi.newsclick.in/Has-the-Tamil-Nadu-government-sparked-great-debate-by-rejecting-NEET
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