एमपी नाउ डेस्क
◆ओम् टीम के सहयोग से 15सत्र पूरे, कल होगा समापन
◆छोटे शहरों और कस्बों में रंगकर्म की हैं अपार संभावनाएं: श्री चटर्जी
छिंदवाड़ा:- किरदार संस्थान द्वारा आयोजित ऑनलाइन नाट्य कार्यशाला "माटी के रंग किरदार के संग" के गुरु पूर्णिमा विशेष सत्र का आयोजन ओम मंच पर अस्तित्व के सहयोग से किया गया। किरदार संस्थान के सचिव ऋषभ स्थापक ने बताया कि कार्यशाला के पंद्रहवें सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय के निदेशक आलोक चटर्जी उपस्थित हुए सत्र के प्रारंभ में कार्यशाला के मेंटर नितिन जैन द्वारा कार्यशाला के उद्देश्य से अतिथि को परिचित कराया गया इसके उपरांत कार्यशाला के संयोजक शिरिन आनंद दुबे द्वारा उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया गया।
आलोक चटर्जी ने उनके रंगमंच के समस्त गुरुओं को प्रणाम करते हुए वक्तव्य की शुरुआत में ही उन्होंने कहा कि छोटे शहरों में और कस्बों में रंगकर्म की अपार संभावनाएं मौजूद हैं बस जरूरत है तो व्यक्ति में संभावनाएं तलाशने की और तलाश पूरी होने के बाद उन कलाकारों को तराशने की आवश्यकता होती है। जब आपके पास बेहतर कलाकार मौजूद होते हैं, तब आप एक बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं तथा राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने नाट्य समूह को स्थापित कर पाते हैं। हर शहर और कस्बे के हिसाब से रंगकर्म का प्रारूप बदलते जाता है जैसे किसी छोटे शहर में वहां की पृष्ठभूमि पर आधारित नाटक किया जाए तो लोगों को ज्यादा पसंद आता है वहां पर उपलब्ध संसाधनों में नाटक करना एक रंगकर्मी के लिए ज्यादा सुलभ होता है। शौकिया रंगमंच पर बात करते हुए वे कहते हैं कि रंगमंच व्यक्ति को पैसा कमाने के लिए नहीं अपितु अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।शौकिया रंगकर्म,रंगमंच का मूल आधार होता है। शौकिया रंगकर्म के माध्यम से कलाकार अपने शहर समाज एवं वातावरण के बारे में जान पाते हैं ।इसके साथ ही शौकिया कलाकारों से प्रभावित होकर ही नवोदित कलाकार प्रोफेशनल रंगकर्म की ओर आकर्षित होते हैं । रंगमंच के कलाकार अपने व्यक्तिगत जीवन में नाना प्रकार के त्याग करके इस विधा को समाज के सामने प्रस्तुत करते है। कलाकार को अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बनाने का प्रयास करना चाहिए।