एमपी नाउ डेस्क
मुम्बई:-क्या हुआ अगर हम एक अच्छे कलाकार हैं, मगर बिहार के है, और मुम्बई औरों की तरह सपने देखते हुए, आ जाते हैं, और जैसे ही मुम्बई पँहुचते है, तो वँहा के लोगो से सुनने को मिलता है-- लो आ गया बिहारीक्या एक अच्छे कलाकार बनने के लिए बिहारी होना गुनाह है, और अगर कोई कलाकार आगे बढ़ना चाहता है तो क्या वो बिहार के न हो, तभी आगे बढ़े, लोगे के पैर के सामने गिड़गिड़ाए, की हम बिहार के है लोग मुझे काम नही दे रहे हैं, मेरे अंदर प्रतिभा की कोई कमी नही है। मुझे काम दिजीये नही तो हम आत्म हत्या कर लेंगे।
क्या आगे भी, और कितने बिहारी कलाकार को इस तरह की कीमत को चुकानी पड़ेगी,
हा मैं बिहारी हूँ, मै अपनी प्रतिभा और अपने काम के बल पे मुम्बई में रहना है, जिनको हमें जलील करना है,करे, जो कहना है करे, वो एक बात जान ले ये फ़िल्म इंडस्ट्रीज किसी के बाप की नही है. ये सिर्फ प्रतिभा के कलाकारों के लिए है, जितना हक़, सभी को इस फ़िल्म इंडस्ट्रीज को है, उतना ही हम बिहारी कलाकारों की भी है
अब खुद भी जागेंगे और जितने भी सोये हुए बिहारी कलाकारों भी जगाएंगे, और इस मुंबई मायानगरी में तुम लोगों के बीच में रह कर के दिखाएंगे,
अगर किसी माय के लाल में दम है तो भगा के दिखाए,
बिहारी... कितना जलील नाम सुनने को मिलता है... हमें, ऐसा लग रहा है, मानो बाहरी सुन रहा हूँ।
बस में, ट्रैन में या फिर किसी ऐसे स्थान पर जँहा अपने राज्य से दूर उस जगह, ऊंहा, के इंसान बिहारी कह कर धक्के,खाओ या फिर ताने सुनो, बिहारी ऐसा होता है, तो तो वैसा होता है।लेकिन ये नही सुनता कोई, वो आज जिस जगह पर है, उस जगज की सड़क बनाने वाले भी बिहारी है, अपने पूर्वज का पिंड दान करने गया शहर आता है, वो भी बिहारी है।
उनकी शहर को चमकाने वाला भी, बिहारी है, जो अपने परिवार से दूर,1 छोटी सी झोपड़ी में भाड़े पर रह कर, उनके सपने सजाने में, अपनी जान की बाज़ी तक लगाती है, जो जिगर बिहारी के पास है, वो किसी के पास हो नही सकता, चाहे फ़िल्म लाइन हो, या फिर कोई और, आप कितने भी बड़े स्कूल में पढ़ लो, फिर भी बिहारी सबसे ज्यादा, IAS officer को रेंक हासिल करता है।
अभिषेक गुप्ता कास्टिंग डायरेक्टर
Yeh mere thoughts hai.