एमपी नाउ डेस्क
Jaya Jaya Jaya Hey Movie Review: मलायलम भाषा का सिनेमा और उसकी कहानियों को लोगों द्वारा ख़ूब पसंद किया जा रहा है, ख़ासकर हिंदी के दर्शकों ने ओटीटी के आगमन के बाद मलयालम भाषा में बनी फिल्मों को खुब प्यार दिया हैं। एक ऐसी ही ख़ास फिल्म 2022 में रिलीज की गई थी, जिसका नाम जया जया जया हे था जिसमें बेसिल जोसेफ के साथ दर्शना राजेन्द्रन ने अभिनय से खुब वाहवाही लूटी थी। इस फिल्म का निर्देशन विपिन दास ने किया था जो एक ब्लैक कॉमेडी जॉनर की फिल्म थी, फिल्म में बेहद खूबसुरत तरीके से पेट्रिआकि सोच को लेकर एक हास्य कहानी के जरिये व्यंग्य किया जाता है। हिंदी के दर्शकों के लिये इस फिल्म को जियो हॉटस्टार में स्ट्रीम किया गया है, जहां वह इस फिल्म को देख सकते हैं।
कैसी है फिल्म?
फिल्म को जो ख़ास बनाता है वह फिल्म का विषय जो प्रायः ही 80 प्रतिशत घर की कहानियों से मेल खा जाता है। दरअसल फिल्म शुरु होते ही एक दृश्य में दिखाई देता एक पिता अपनी नवजात लड़की को गोद में उठाते हुए उसें इंद्रा गांधी जैसा बनाते का ऐलान करता है वही पीछे से एक पुरुष व्यंग्य स्वरुप कहता है कि इंद्रा गांधी बना रहें हो ठीक है लेकिन बाल बड़े ही रहने देना। जिस लड़की के बारे में यह सब बात हो रही है वही फिल्म की नायिका जया यानि की जयभारती है जिसका किरदार दर्शना राजेंद्रन ने निभाया है। फिल्म की नायिका के साथ ठीक वैसा ही होता है जो अक्सर किसी भी घर में जन्म लेने वाली लड़कियों के साथ घटता है यानि की शुरुआत से ही उसे ऐसा महसूस करवाया जाता है कि वह अपने भाई से अलग है बहुत ख़ास है लेकिन धीरे- धीरे उसकी इस गलतफ्रेमी का बोध होता है कि वह जिसे ख़ासियत समझ रही होती है वह तो एक समाजिक कमजोरी है।
जया के साथ भी यही दिखाने की कोशिश फिल्म के निर्देशक विपिन दास ने की हैं जैसे उसके बड़े भाई को उसके पिता जी पीट रहें होते है कक्षा की बुक फट जाने को लेकर जिसमें उसका भाई कहता है कि बुक तो इसने भी फाड़ी है तो पिटाई सिर्फ मेरी क्यों हो रही है। इसे देखकर ऐसा महसूस होता है कि घर में लड़कियों को लेकर एक प्यार और स्नेह का भाव है लेकिन जब उसे मार न पीटे जानें की बात की असलियत का पता चलता है तो लड़की के मन में रोष पैदा होता है। घर में मॉ अपने बेटे को समझाती है कि तेरी बुक से अगले वर्ष तेरी छोटी बहन पढ़ेगी यदि तू अपनी बुक इसी प्रकार से फाड़ देगा तो उसके लिए नई पुस्तकें खरीदनी पडेगी। जबकि बहन की पुस्तकें पढ़ने वाला कोई नही है। ऐसी कई घटनाएं उसके बचपन में घटती जाती है, बड़े होने पर भी ऐसी कई घटनाएं उसके साथ घटती है जिसमें उसे यकीन हो जाता है कि पहले उसका जीवन उसके पिता, मामा और भाई कंट्रोल कर रहे होते है तो जब उसकी शादी कर दी जाती है तो यह कंट्रोल उसका पति अपने हाथों में लेना चाहता है।
जया अपने लिए क्या चाहती है..........समानता अज़ादी और न्याय और इन तीन चीजों को प्राप्त करने के लिए जो संर्घष हर घर में रोज 80 प्रतिशत महिलाएं करती है कुछ बहुत खुशऩसीब होती है तो बहुत सी महिलाओँ का यह संर्घष जीवन भर चलता रहता है। इस फिल्म में जया का हक उसे मिलता हैं या नही यह फिल्म देखने से आपकों पता चल ही जायेगा। फिल्म आपकों दो मोर्चों में कुछ न कुछ देने की कोशिश करती हैं, मनोंरजन वाले मोर्चे में फिल्म आपकों मनोरंजित करने में कोई कसर नही छोड़गी तो वही दूसरे मोर्चे में महिलाओँ के प्रति सोचने का नज़रिया बदलने की शिक्षा भी देगी।
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